
माँ दुर्गा की सवारी सिंह है। उनके सात हाथों में विभिन्न आयुध हैं और आठवाँ हाथ अभय मुद्रा में आशीर्वाद देता है। माँ दुर्गा के यह सभी चिन्ह बहुत कुछ कहते हैं। आईए इन्हीं पर एक नजर डालते हैं।
चक्र: चक्र धर्म और कर्तव्य का प्रतीक है। कर्तव्यों का निर्वहन धर्म-संगत प्रकार से करना चाहिए।
शंख: शंख ब्रह्मांडीय ध्वनि और ऊर्जा का प्रतीक है। परमात्मा से एकाकार हो प्रफुल्लित रहना चाहिए और क्रोध व द्वेष से बचना चाहिए।
तलवार: तलवार न्याय और उन्मूलन की प्रतीक है। अच्छाई और बुराई में अंतर सीखना चाहिए और अच्छाई के साथ रहना चाहिए।
धनुष–बाण: धनुष-बाण चरित्र का प्रतीक है। कैसी भी प्रतिकूल परिस्थिति हो, अपना चरित्र उत्तम रखना चाहिए।
गदा: गदा निष्ठा, समर्पण और बल की प्रतीक है। आत्म बल के साथ परमात्मा के प्रति समर्पित और निष्ठावान रहना चाहिए।
त्रिशूल: त्रिशूल नाश और विध्वंस का प्रतीक है। ध्यान रखना चाहिए कि मृत्यु ही शाश्वत सत्य है।
कमल: कमल अनासक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। माया की कीचड़ में कमल की तरह अनासक्त रह कर ही सच्ची समृद्धि पा सकते हैं।
अभय मुद्रा: देवी की अभय मुद्रा आशीर्वाद और क्षमा की प्रतीक है। त्रुटियों को क्षमा करते हुए अपना आशीर्वाद बिना भेदभाव के बाँटना चाहिए।
लाल पोशाक: देवी की लाल पोशाक प्यार, उत्साह और जोश की प्रतीक है। उत्साहित रहना चाहिए और लक्ष्य की ओर जोश के साथ बढ़ते रहना चाहिए।
सिंह: सिंह साहस और सर्वोच्चता का प्रतीक है। अपने वर्तमान पर गर्व (अहं नहीं) करना चाहिए और चुनौतियों का सामना साहस के साथ करना चाहिए।